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सट्टा एक नशा...रोज के काम में शुमार,हुई इसकी लत....पट्टी लिखवाना बना एक काम...!

गोल्डी खान/धमतरी सट्टे के खेल का नशा इस कदर इसके शौकीनों को रहता है जो इसे रोजाना एक काम की तरह लेते है रोज पट्टी लिखवाना उनकी एक आदत में शुमार हो गया है ज्ञात हो कि जिले में जब भी कोई नए अफसर आते है उनकी प्राथमिकता सट्टा जुआ शराब पर लगाम लगाने की रहती है हालांकि वह ऐसा कहते जरूर है मगर इस पर लगाम लगाना तो दूर इसकी ठीकठाक रोकथाम भी नहीं हो पाती बतौर उदाहरण जिले के ग्रामीण इलाके हो या शहर के अधिकांश वार्ड वहां आसानी से सट्टा खेलने और खिलाने के शौकीन लोग मिल जायेंगे मजे की बात तो यह है कि इस खेल को खेलने के लिए वह लोग पहले तमाम तरह के आंकड़े लगाते है फिर उसमें से एक दो नंबर को वह लोग लकी मानकर उसमें दांव लगाते है और मजे की बात यह है कि ये जुआ खेलना लोगो की आदत में तो शुमार है बल्कि रोज के कामों की तरह भी इसे लिया जाता है।

मतलब आज मैं इस नंबर को खेलूंगा अरे यार मैं आज पट्टी नहीं लिखवा पाया इस तरह के शब्द अक्सर बस्तियों में आसानी से सुनाई पड़ सकते है जब सट्टा खेलने और नंबर आने का वक्त रहता है तब ज्यादातर ऐसा होता है ,आपको बता दें कि इस जुए के खेल में महिलाएं भी पीछे नहीं रहती है और सबसे दिलचस्प बात तो ये है धमतरी जिले में सट्टे का बाजार तो गर्म है ही वहीं आईपीएल में भी इसके शौकीन अपनी किस्मत आजमाते रहते है और दूसरी ओर अफसर इसकी रोकथाम के दावे करते है जबकि जिला हो या शहर  यहां सट्टा अच्छी तरह पनप चुका है इस बात में भी कोई शक नहीं है जो कि रोजमर्रा के काम की तरह इसके शौकीनों के जीवन में उतर चुका है जिसमे महिला पुरुष बच्चे भी शामिल है और सट्टेबाज खाईवाल बनकर बैठे हुए है जिन्हें सफेदपोश लोगो का भी संरक्षण प्राप्त रहता है
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