Breaking

धान खरीदी की लिमिट बढ़ाकर उठाओ मे तेजी लाने साय सरकार पर तारिणी चंद्राकर का हमला.....दी आंदोलन की चेतावनी.....

गोल्डी खान/धमतरी धान खरीदी की लिमिट बढ़ाकर उठाव में तेजी लाने की बात कहते हुए कांग्रेस जिला अध्यक्ष तारिणी चंद्राकर ने राज्य सरकार पर हमला बोला है साथ ही आंदोलन की चेतावनी दी है प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उन्होंने कहा कि प्रदेश में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू हुई है. धान खरीदी प्रक्रिया को करीब 17 दिन बीत चुके हैं, लेकिन धमतरी जिले में किसान अब भी गंभीर अव्यवस्था का सामना कर रहे हैं किसान आज टोकन के लिए दर-दर भटक रहे हैं, जबकि सरकार केवल आश्वासन देने में व्यस्त है। किसान सुबह से ही केंद्रों में लंबी कतारों में खड़े हो जाते हैं, मगर न तो ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन टोकन आसानी से उपलब्ध हो पा रहा है. कई किसान हफ्तों से चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सिस्टम में टोकन स्लॉट खुल ही नहीं रहा है छत्तीसगढ़ में साय सरकार के गठन के बाद से ही किसानों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। कभी खाद वितरण की समस्या, तो कभी पटवारी कार्यालयों के चक्कर—किसानों का कोई भी काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। धान खरीदी केन्द्रो में खरीदी की लिमिट को न्यूनतम स्तर पर ला दिया गया है. यह स्थिति सरकार की किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाती है उन्होंने सरकार  के समक्ष किसानों की समस्या को जल्द दूर करने अन्यथा आगामी दिनों में आंदोलन की चेतावनी दी है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों की नहीं, व्यापारियों की सरकार साबित हो रही है किसानों का धान कटकर पूरी तरह तैयार है, लेकिन बेचने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है। लगभग 15 दिन से धान खरीदी जारी है, लेकिन अब तक धान उठाव प्रारंभ नहीं हो पाया है। यदि उठाव में और देरी हुई तो उपार्जन केंद्रों में जाम की स्थिति बनेगी और इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा नमी और अन्य तकनीकी बहाने बनाकर किसानों की धान वापस किया जा रहा है, जिससे उनकी सालभर की मेहनत पर पानी फिर रहा है। यह सब दर्शाता है कि साय सरकार पारदर्शी तरीके से धान खरीदी कराने में पूरी तरह असफल रही है जिलाध्यक्ष तारिणी चंद्राकर ने कहा कि सरकार तत्काल टोकन व्यवस्था दुरुस्त करें, धान उठाव में तेजी लाए, खरीदी केन्द्रो में लिमिट को बढ़ाए और किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करें, ताकि उन्हें राहत मिल सके और खरीदी कार्य सुचारू रूप से संचालित हो सके किसानों की उपरोक्त मांगे सोमवार तक पूरी नहीं होने की स्थिति में किसानों के अधिकारो के लिए सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ी जाएगी।
Show comments
Hide comments
Cancel