गोल्डी खान/धमतरी शासकीय विभागों में अफसर नहीं रहते कर्मचारी भी नहीं रहते पूछने पर कुछ बताते नहीं कब तक उनका इंतजार करना है इस पर भी कुछ बोलते नहीं समेत तमाम तरह की शिकायत शासकीय दफ्तरों में आने वाले लोग करते है मतलब यह शिकायत हमेशा ही लोगो की जुबान में रहती है जब वह किसी शासकीय दफ्तर अपने काम से जाते है ऐसा बहुत कम ही होता है जब उन्हें समय पर कोई अफसर या संबंधित कर्मचारी मिल जाए जिसका एक ताजा उदाहरण भी एक चेकिंग के दौरान भी कलेक्ट्रेट से सामने आया है दरअसल आपको बता दें कि शासन प्रशासन द्वारा अफसर कर्मचारियों की टाइमिंग में सुधार के लिए एक टीम का गठन किया गया है जो कि कितने बजे आते है और कितने बजे जाते है इसे चेक करेगी या उनकी निगरानी करेगी तो आज मंगलवार कलेक्ट्रेट में यह चेकिंग अचानक से हो गई मजे की बात तो यह है कि पहले ही दिन करीब 65 शासकीय सेवक देर से दफ्तर आए जिनकी नियमानुसार एंट्री की गई कुछ समझाइश वगैरह देकर फिर उन्हें अंदर दाखिल किया गया मजे की बात यह है कि यह सब जिले के सबसे बड़े दफ्तर कलेक्ट्रेट में हुआ जहां विभिन्न विभागों के दफ्तर स्थित है जिससे यह भी पता चलता है कि बड़े अफसरों का अपने विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर कितना नियंत्रण है जहां से उनकी लेट लतीफी इस तरह से सामने आई है हालांकि इस मामले में आगे सुधार और कार्रवाई की बात जरूर कही जा रही है मगर यह आगे ही पता चलेगा कि इस मामले में कितना सुधार होता है और किन पर किस तरह की कार्रवाई होती है या फिर यह एक फॉर्मेलिटी के रूप में देखा जायेगा
इस मामले में यह चर्चा भी शोर मचा रही है