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साहब बात करने तैयार नहीं बोल रहा है क्राइम.....एक के बाद एक हत्या से सहमे जिलेवासी.....हत्या और चाकूबाजी को रोकने क्या ? बनी कोई रणनीति पूछ रहे लोग...

गोल्डी खान/धमतरी जिला इन दिनों सहमा हुआ है जहां रहने वाले लोग भी सहमे हुए है क्योंकि जिले का जो हाल पिछले कुछ समय से जो बना हुआ इसकी ऐसी स्थिति कभी नहीं थी यहां अब जिले के जिम्मेदार खामोश है और यहां कोई बोल रहा है तो  सिर्फ क्राइम की आवाज सुनाई पड़ रही है जो चीख रहा चिल्ला रहा है हंगामा मचा रहा है मगर उसे शांत कराना शायद उतना आसान नहीं है और न हीं इसकी रोकथाम के लिए अब तक कोई तैयारी हुई है क्योंकि ये आज कल की बात नहीं ये सिलसिला तो जिले में पिछले कुछ महीनों बल्कि कुछ सालों से चल रहा है जहां एक के बाद एक हत्या और चाकूबाजी के मामले सामने आ रहे है बल्कि सोमवार की रात तो हद ही हो गई जब तीन बेकसूर युवकों की कुछ बदमाशो ने चाकू से हमला कर उनकी जान ले ली।
बताया जाता है कि महज थोड़ी सी कहासुनी हुई थी जिसके बाद तीन जिंदगियां शांत हो गई इससे बड़ी दुखद बात तो यह है कि जिन बदमाशो ने तीन  बेकसूर लोगों का घर उजाड़ा उनके चेहरे में इस गंभीर गुनाह की सिकन भी नहीं थी और न ही कोई अफसोस बल्कि पुलिस की गिरफ्तारी के बाद उन गुनहगारों की कुछ ऐसी तस्वीर वायरल होती है जो कि सिस्टम के साथ साथ समाज को भी शर्मसार करती है कि ऐसे गुनाहगार जिन्होंने तीन बेकसूर जाने ले ली और उनके घरों को बर्बाद कर दिया ऐसे लोग अपने किए पर शर्मिंदा भी नहीं हुए बल्कि सिस्टम की आंख में आंख डाल कर  उसे चिढ़ा रहे है और समाज को भी बेबसी को ओर धकेल रहे है शायद यही वजह है कि अब धमतरी जिले के लोग कही आने जाने के लिए कई बार सोच रहे है रात में तो कही जाने का अब उनका मन भी नहीं हो रहा है लोग अब घर से बाहर निकलने में भी असहज महसूस कर रहे है मगर उनके दिल में शायद यह बात दबी हुई है कि एक ऐसी भी सुबह होगी जो उनके लिए खुशखबरी लायेगी जिस दिन उन्हें पता चलेगा कि आज से ऐसे गुनहगारों के लिए ऐसा कड़ा कदम उठाया गया है मगर फिलहाल वो दिन अभी दूर है क्योंकि हत्या और चाकूबाजी का सिलसिला तो जिले में चल ही रहा है और इसकी रोकथाम को लेकर ऐसी कोई योजना या कोई ऐसी रणनीति भी फिलहाल बनी नहीं है जिससे गुनहगारों के दिलों में खौफ पैदा हो और दूसरी बात तो यह भी है कि इस विषय में जिले के जिम्मेदार कुछ भी बोलने के लिए तैयार ही नहीं है जो सिर्फ अपने काम में व्यस्त है और अपना काम कर रहे है कि गुनाह होने पर कागजी कार्रवाई करके उन्हें पकड़कर सलाखों के पीछे भेज दिया जाए जबकि इसके अलावा भी उन पर जनसुरक्षा की  जिम्मेदारी है हर व्यक्ति के दिल में सुरक्षा की भावना को मजबूत करना भी जिम्मेदारी है हर व्यक्ति की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी है मगर यहां सुरक्षित कौन है यह बड़ा सवाल बनता जा रहा है क्योंकि अब लोग बाहर से ज्यादा अपने घर पर ही रहना सुरक्षित समझ रहे है
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