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मोहल्ले में डेढ़ सौ रुपए का काम कराने को लेकर निगम में बवाल....कर्मचारियों के साथ पार्षद नाराज....षडयंत्र और साजिश फिरभी एक बात रह गई.... अधूरी की सत्तापक्ष के पार्षद की जब सुनवाई नहीं तो जनता की उम्मीदों और निगम के दावों पर कौन करे भरोसा ?.....इधर निगम के एक कर्मचारी के सात रिश्तेदार...!

गोल्डी खान/धमतरी मोहल्ले में डेढ़ सौ रुपए के काम कराने के लिए निगम में भारी बवाल हुआ निगम के कर्मचारियों और भाजपा पार्षद के बीच नाराजगी भी हुई षडयंत्र और साजिश के आरोप भी लगे फिर भी एक बात अधूरी रह गई कि निगम में जब सत्तापक्ष के पार्षद की ही सुनवाई नहीं तो फिर किसकी सुनवाई होगी दरअसल ज्ञात हो कि नगर निगम पर शहर के वार्डो का जिम्मा रहता है जहां पार्षदों के माध्यम से वार्डो की देखरेख होती है जहां यदि काम की आवश्यकता है तो निगम के अधिकारी कर्मचारी उस काम को पार्षद के बताने पर पूर्ण करते है ऐसा ही एक काम शहर के ब्राह्मण पारा में पेंडिंग था जिसे वहां के पार्षद कोमल सार्वा काफी महीनो से करवाना चाह रहे थे कल शुक्रवार को वह काम उनके वार्ड में होने वाला था मगर किन्हीं कारणों से नहीं हो पाया जिसके बाद निगम में बवाल की शुरुवात हुई दरअसल इस मामले पर निगम के कर्मचारी रामनारायण माहेश्वरी ने पार्षद कोमल सार्वा पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा दिया था कि उनके वार्ड में काम नहीं होने के चलते पार्षद ने नाराज होकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया है जिनके खिलाफ निगम कर्मचारी संघ ने प्रदर्शन भी किया था अब आज यानी शनिवार को इस मामले में नया मोड आया जब भाजपा पार्षद कोमल सार्वा खुद ही निगम में धरने पर बैठ गए और निगम के कर्मचारियों के आरोपों को निराधार बताते हुए अपनी व्यथा भी बताई कि पिछले करीब दो माह से वह अपने वार्ड में डेढ़ सौ रुपए का काम कराने के लिए त्रस्त है क्योंकि उन्हें वार्डवासियों को जवाब देना पड़ता है उसके बाद भी उन पर इस तरह का आरोप लगाया गया बल्कि उन्होंने इस मामले में निगम के कुछ जिम्मेदार लोगों पर भी आरोप मढ़ा है और इस मामले को साजिश और षडयंत्र भी बताया है साथ ही निगम के भाजपा पार्षदों को भी आड़े हाथों लेकर उनका साथ नहीं देने की बात कही है दूसरी ओर इस मामले में सुलह का रास्ता खुल गया है ऐसी चर्चा हो रही है मगर फिलहाल ऐसा कोई साक्ष्य मीडिया तक नहीं आया है वहीं इस मामले के बाद निगम की स्थिति परिस्थिति को देखते हुए अब यह चर्चा हो रही कि जब छोटे से काम के लिए सत्ता पक्ष के पार्षद के साथ ऐसा हो सकता है तो फिर आम जनता की उम्मीदों और निगम के दावों पर कौन भरोसा करेगा


निगम में एक कर्मचारी के सात रिश्तेदार

इस विवाद में निगम का एक यह राज भी खुल कर आया है कि निगम के एक कर्मचारी के सात रिश्तेदार निगम में सेवा दे रहे है यह सवाल भी अब गहरा रहा है कि एक व्यक्ति के सात रिश्तेदार यदि निगम में है तो वो एक ही जगह में कैसे है ?
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