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नेता अधिकारी विवाद - रेत के अवैध धंधे पर वर्चस्व की लड़ाई का पहला एपिसोड.?.....दुस्साहसी रेत माफिया पर किसका वरदहस्त ये बड़ा सवाल....नेता की हरकत को पार्टी ने संज्ञान में लिया, अधिकारी ने कलेक्टर से की शिकायत...!

धमतरी डेस्क
धमतरी में रेत खदानों से अवैध उत्खनन और परिवहन विवाद और मारपीट के मामले नए नही है,लेकिन ताजा बवाल से जिले की राजनीति और प्रशासन दोनों इसके लपेटे में आ गए है, पूरा बवाल सोशल मीडिया में वायरल हुई एक ऑडियो से शुरू हुआ है,इस ऑडियो में जिला पंचायत सदस्य और भाजपा नेता खूबलाल ध्रुव,और महिला नायाब तहसीलदार ज्योति सिंह के बीच  बहस हुई भाजपा नेता ने बार बार अवैध खदान में कार्रवाई करने केलिए नायब तहसीलदार को बोला,फिर बात बिगड़ गई और अधिकारी और नेता के बीच आरोप और धमकियां शुरू हो गई,इस मामले में नायब तहसीलदार ने मीडिया में सीधा कोई बयान नही दिया है लेकिन कलेक्टर से शिकायत जरूर की है।धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी ने इस शिकायत पर जांच की बात कही है, वहीं भाजपा नेता ने खुद का एक वीडियो भी मीडिया से शेयर किया है और फिर से गंभीर आरोप लगाए है,इस बवाल से अब सत्ताधारी दल यानी कि भाजपा के प्रमुख नेता, भी धरम संकट में फंस गए है, और सवालों का जवाब देने की स्थिति में नही है... देखना होगा कि ये बवाल आगे और क्या रंग लेता है।

दरअसल सारा झगड़ा रेत से अवैध कमाई का बताया जा रहा है, इस वाइरल ऑडिओ में जिला पंचायत सदस्य ने मंडल अध्यक्ष विजय यदु का भी नाम लिया है, लेकिन विजय यदु ने खूबलाल द्वारा नाम लिए जाने पर आपत्ति जताई है, और खुद को इस विवाद से अलग होने का दावा किया है,इस मामले में भाजपा जिला अध्यक्ष प्रकाश बैस ने कहा कि,अधिकारी नेता के विवाद वाले मामले को पार्टी ने संज्ञान में लिया है और प्रदेश नेतृत्व से निर्देश मांगा गया है।

वैसे सारा झगड़ा रेत के अवैध धंधे में वर्चस्व का बताया जा रहा है, नियमतः अभी किसी भी खदान से रेत नही निकाली जा सकती, एनजीटी  की गाइडलाइंस के मुताबिक चेन पुलिंग या जेसीबी का उपयोग नही किया जा सकता, लेकिन नियम कागजो तक ही है मौके पर सब कुछ चल रहा है, रोजाना इन खदानों में हाइवा की लाइन लग रही है, और झगड़ा शुरू यही से होता है, धमतरी के सोनेवारा खदान को चलाने वाले लोगो को बड़े नेताओं का आशीर्वाद बताया जा रहा है, इस बीच कुछ छोटे नेताओ द्वारा भी अवैध खुदाई शुरू करवाने से बड़े खिलाड़ियों के धंधे पर असर पड़ने लगा, तब वो अपने रसूख से चुन चुन कर उन खदानों पर कार्रवाई करवा रहे है जिनके कारण उनका वर्चस्व कमजोर होने लगा था। इस से तिलमिलाए नए खिलाड़ियों ने अधिकारियों पर भड़ास निकाली है, अब देखना होगा कि इतने बवाल के बावजूद रेत खदानों में चल रहा अवैध धंधा रुकता है या नाही या फिर ये वर्चस्व और रसूख की लड़ाई कोई बड़ा रूप लेती है।
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