गोल्डी खान/धमतरी नगर निगम यानी कि शहर के नागरिकों की एक निगहबान संस्था को बोला जा सकता है जो उन्हें पानी उपलब्ध कराने के साथ साफ सफाई सफाई का ध्यान तो रखती है साथ ही उन्हें अंधेरे से बचाने का भी पूरा बंदोबस्त करती है जो उन्हें अच्छी सड़क उपलब्ध कराती है ताकि उसके नागरिकों को कहीं ठोकर न लगे साथ ही कहीं जलभराव की स्थिति न बने इस लिहाज से छोटी बड़ी नालियों का निर्माण कराती है ताकि कहीं भी जमा होने वाला पानी आसानी से निकल जाए हालांकि यह सब सुविधा देने के बाद वह नागरिकों से टैक्स भी लेती है और यह सिलसिला धमतरी ही नहीं बल्कि सभी जगह चलता है और चल भी रहा है
25 बरस में क्या मिला ?
अब बात केवल धमतरी की करे तो वैसे तो धमतरी को जिला बने 25 साल हो गया है और धमतरी नगर पालिका निगम में तब्दील हो गई है मगर यहां बात सुविधाओं की करे तो धमतरी की जनता को सुविधाओं के नाम पर क्या मिला है ? यह बड़ा सवाल है यह तो जनता खुद भी महसूस कर रही है जहां विकास तो कोसो दूर है लोगो के पास पीने को पर्याप्त पानी है न चलने को पर्याप्त सड़क गली मोहल्लों में रौशनी भी पर्याप्त नहीं बल्कि सड़को में गंदगी पसरी नजर आती है साथ ही अड़ोसी पड़ोसी के घर की छत का भी पानी सड़क से गुजरने वाले लोगों पर छींटे उड़ाता है बारिश में चारों ओर जलभराव की स्थिति नजर आती है अब उसमें भी निगम के टैक्स लेने का रवैया पानी का कनेक्शन काट दो और विकास का दावा करो मतलब यह विकास का दावा कब से हो रहा है और कब तक होगा यह भी स्पष्ट नहीं है दूसरी ओर बिजली का बिल भी लोगो की जेब जला रहा है उसे भी पटाने में देर हो जाए तो उसके घर में अंधेरा कर दो मतलब उसका कनेक्शन काट दो धमतरी में यह कैसा सिस्टम चल रहा है जो गरीबों का मददगार बनने का दावा जरूर करता है मगर गरीबों का पानी पीना और रौशनी में रहना गंवारा नहीं कर पा रहा है यह बात आम जनता के दिल से निकली हुई आवाज है जो इन दिनों आंदोलन प्रदर्शन के रूप में भी सुनाई दे रही है जो आदमी को रेस्ट करने का हवाला तो जरूर दे रही है कि तुम्हे आराम मिलेगा मगर इस रेस्ट के टैक्स ने व्यक्ति को फिलहाल आराम तो नहीं दिया है लेकिन बेचैन जरूर कर दिया है